अजब गजब: इस जानवर का खून है सबसे महंगा, एक लीटर खून में खरीद सकते हैं कार, जानकर होगी हैरानी

  • हॉर्श शू केकड़ों का खून है दुनिया का सबसे महंगा खून
  • एक लीटर खून में खरीद सकते हैं कार!
  • इनके खून को नीला सोना भी कहा जाता है

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-15 11:59 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। दुनिया में बहुत से ऐसे जीव हैं जिनके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता होता है। लेकिन ऐसे जीव बहुत ही कम होते हैं और साथ ही बहुत काम के होते हैं। कई बार तो इन जीवों के भरोसे इंसान की जिंदगियां टिकी होती हैं। ऐसा ही एक जीव है जिसका खून इस दुनिया में सबसे ज्यादा महंगा मिलता है। इस जीव के एक लीटर खून की कीमत में आप एक कार खरीद सकते हैं! आपको जानकर हैरानी होगी कि इस जीव का खून इतना महंगा है कि इसे स्टोर करके भी रखा जाता है साथ ही मेडिकल कामों में भी उपयोग किया जाता है।

नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम और मैरीलैंड वेबसाइट के मुताबिक हॉर्श शू क्रैब करीब 45 करोड़ साल पुराना जीव है। ऐसा माना जाता है कि ये डायनासोर के जमाने से भी पुराना है। ये केकड़े और केकड़ों जैसे ही लगते हैं लेकिन इन केकड़ों के खून का रंग लाल ना हो के नीला होता है। जो इनको दूसरे केकड़ों से अलग करता है। ये नीला रंग इनके शरीर में मौजूद हीमोसायनिन की वजह से होता है। ये कॉपर बेस्ड रेस्पिरेटरी पिगमेंट होता है।

कितने कीमती होते हैं ये केकड़े?

इन केकड़ों के खून को नीला सोना भी कहा जाता है। स्टडी डॉट कॉम की वेबसाइट के मुताबिक एक लीटर खून की कीमत करीब 15 हजार डॉलर यानी करीब 12 लाख रुपये होती है। इतने में एक कार आराम से खरीदी जा सकती है। लेकिन सवाल ये आता है मन में कि ये खून इतना महंगा क्यों है? इस खून की मेडिसिनल वैल्यू बहुत ज्यादा है जिसके चलते इसकी कीमत इतनी ज्यादा है। मैरीलैंड वेबसाइट के अनुसार इस जीव के खून में एक प्रोटीन होता है जिसे लिमुलस अमीबोसाइट लाइसेट कहा जाता है। जिसका उपयोग दवा और चिकित्सा उपकरण निर्माताओं की तरफ से अपने सामान की टेस्टिंग में होता है।

क्या होता है केकड़ों का ब्लीडिंग प्रोसेस में?

अपने उत्पादों में एंडोटॉक्सिन जैसे पदार्थों की मौजूदगी का परीक्षण करने के लिए इस खून का प्रयोग करते हैं। ये बैक्टीरियल पदार्थ से इंसानों को बुखार आ सकता है। फाइन डाइनिंग लवर्स वेबसाइट के मुताबिक ये जीव अमेरिका में अटलांटिक महासागर के तट पर मिलते हैं। इन जीवों के ब्लीडिंग प्रोसेस के बाद 10 से लेकर 30 प्रतिशत तक केकड़े जिंदा नहीं रह पाते हैं। 

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